टिहरी झील में सी-प्लेन (Sea-Plane) चलाने की इजाजत

टिहरी बाँध टेहरी विकास परियोजना का एक प्राथमिक बाँध है जो उत्तराखण्ड राज्य के टिहरी जिले में स्थित है। इसे स्वामी रामतीर्थ सागर बांध भी कहते हैं |यह बाँध हिमालय की दो महत्वपूर्ण नदियों पर बना है जिनमें से एकगंगा नदी की प्रमुख सहयोगी नदी भागीरथी तथा दूसरी भीलांगना नदी है, जिनके संगम पर इसे बनाया गया है।

टिहरी बाँध की ऊँचाई २६१ मीटर है जो इसे विश्व का पाँचवा सबसे ऊँचा बाँध बनाती है।

  • टिहरी बाँध भारत का सबसे ऊँचा तथा विशालकाय बाँध है। यह भागीरथी नदी पर 260.5 मीटर की उँचाई पर बना है। टिहरी बांध दुनिया का आठवाँ सबसे बड़ा बाँध है, जिसका उपयोग सिंचाई तथा बिजली पैदा करने हेतु किया जाता है।

  • टिहरी बांध परियोजना हेतु प्राथमिक जांच का काम 1961 में पूर्ण हो गया। इसके बाद इसके रूपरेखा तय करने का कार्य 1972 में हुआ। इसके लिए 600एमडबल्यू का बिजली संयंत्र लगाया गया। इसके निर्माण का कार्य 1978 में शुरू हो गया, लेकिन आर्थिक, पर्यावरणीय आदि प्रभाव के कारण इसमें देरी हुई। इसके निर्माण का कार्य 2006 में पूरा हो गया।

उत्तराखंड सरकार (Uttarakhand Government) ने पर्यटन (Tourist) गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए टिहरी झील में सी-प्लेन (Sea-Plane) चलाने की इजाजत बुधवार को दे दी। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला किया गया।

बैठक के बाद कैबिनेट मंत्री और राज्य सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक ने संवाददाताओं को बताया कि भारत सरकार द्वारा सी-प्लेन चलाने के लिए भेजे गए मसौदे को राज्य मंत्रिमंडल ने स्वीकार कर लिया है।

…………….. भारत सरकार की योजना ‘उड़ान’ के तहत इस सी-प्लेन को टिहरी बांध पर बनी झील में चलाया जायेगा। इसके लिए उत्तराखंड सरकार, भारत सरकार और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) अलग से एक समझौता ज्ञापन (MOU) पर दस्तखत करेंगे। इसके अतिरिक्त, राज्य सरकार झील के आसपास ढाई एकड़ भूमि का प्रबंध भी करेगी। सी-प्लेन उड़ाने के लिए ”वायबिलिटी गैप फंडिंग की जायेगी जिसकी भरपाई केंद्र और राज्य सरकार क्रमश: 80 और 20 प्रतिशत के अनुपात में करेंगे।

मदन कौशिक ने बताया कि एक अन्य फैसले में देहरादून को स्मार्ट सिटी बनाने के लिये उत्तराखंड सरकार सिंगापुर की नेशनल यूनिवर्सिटी से करार करेगी। यह विश्वविद्यालय इस संबंध में एक अध्ययन करेगा और एक साल में इसकी रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंपेगा। इस अध्ययन के लिए राज्य सरकार ढाई लाख डॉलर की राशि यूनिवर्सिटी को देगी।

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